प्रिय ईएलपी,
कुछ साल पहले युद्ध शुरू होने तक, मेरी भाषा की स्थिति बहुत ख़राब नहीं थी। अब वक्ता दुनिया भर में बिखर चुके हैं और उनमें से कई दूसरे वक्ताओं से कट गए हैं। इन परिस्थितियों में हम अपनी भाषा को कैसे बढ़ावा दे सकते हैं?
-संघर्ष क्षेत्र
प्रिय संघर्ष क्षेत्र,
मुझे सबसे पहले दुख के साथ यह स्वीकार करना होगा कि दुनिया भर में युद्ध-प्रभावित क्षेत्रों में कई भाषाओं को या तो वैसा ही नुकसान हुआ या वर्तमान में वे उसी तरह की दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थिति का सामना कर रही हैं जैसी आपने अपनी भाषा के लिए बयान की है। कई मामलों में, युद्ध पीड़ित खुद को ऐसी परिस्थितियों में पाते हैं जहाँ अपनी भाषाओं में बोलना या संकेत करना और अपनी सामान्य सांस्कृतिक प्रथाओं को जारी रखना संभव नहीं होता। यह ख़ासकर तब साफ़ दिखता है जब उन्हें ऐसी जगहों में विस्थापित किया जाता है जहाँ उनके गृह समुदाय के बहुत कम लोग होते हैं और सामाजिक मेलजोल के लिए वे एक अन्य भाषा - मेज़बान समुदाय की भाषा - में बात करने के लिए मजबूर हो जाते हैं। ऐसी परिस्थितियों में, जहाँ लोग ज़्यादातर सुरक्षित और जीवित रहने की कोशिश कर रहे हैं, एक भाषा और संस्कृति को जीवित रखना काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। लेकिन साथ ही, यह अपनी जीवनशैली और संबंध बनाए रखने और उन्हें बढ़ाने के लिए विशेषरूप से उपयोगी तरीका हो सकता है।
मेरा समुदाय वर्तमान में उसी संकट का सामना कर रहा है जिसे आप वर्णित कर रहे हैं। वर्ष 2016 में कैमरून में एंग्लोफ़ोन संघर्ष शुरू होने के पहले से ही, हम अपनी भाषा के उपयोग को बनाए रखने और बढ़ावा देने के प्रयास कर रहे थे। जैसे-जैसे संघर्ष तीव्र हुआ और युवा लोग अपनी जान बचाने के लिए कैमरून के भीतर और बाहर दूर-दराज के स्थानों पर भागने के लिए मजबूर हुए, हम जानते थे कि हमारी भाषा और संस्कृति अब बड़े ख़तरों का सामना करेगी। लेकिन साथ ही, नए वातावरण में ज़िंदा रहना और जीवन में कुछ स्थिरता पाना महत्वपूर्ण है। पुनर्निर्माण और स्थिरता प्राप्त करने में उन सांस्कृतिक और भाषाई प्रथाओं से सहायता मिल सकती है जिनसे लोग परिचित हैं, यह जानते हुए कि नए वातावरण में, एकीकरण और/या जीवित रहने के लिए अन्य भाषाएं और संस्कृतियां आवश्यक हैं। ऐसी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में, समुदाय के सदस्य विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करके नेटवर्क बनाने और अपनी सांस्कृतिक प्रथाओं को जीवित रखने पर विचार कर सकते हैं।
मेरे समुदाय के लिए, हमने एक व्हाट्सएप ग्रुप, एक फे़सबुक अकाउंट, और एक यू ट्यूब चैनल बनाया। सदस्य दुनिया भर में हैं, जिनमें से कुछ अब भी हमारे देश में हैं और संघर्ष में जी रहे हैं। हम अपने समुदाय के समाचार और अपडेट्स व्हाट्सएप और फ़ेसबुक पर साझा करते हैं, और समुदाय के बारे में भाषा और संस्कृति सहित सभी प्रकार के विषयों पर चर्चा करते हैं। हम समूह में ऑडियो संदेशों को प्रोत्साहित करते हैं ताकि लोग भाषा का अभ्यास कर सके और समुदाय की भावना को बनाए रख सके। भाषा विभाग के सदस्यों द्वारा भाषा पर साप्ताहिक पाठ प्रस्तुत किए जाते हैं। यू ट्यूब चैनल पर हम अपनी भाषा में वीडियो, संगीत और फिल्म स्केच पोस्ट करते हैं। समर्पित लोगों पर यह सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी है कि साझा की गई सामग्री उपयुक्त है और समुदाय के लक्ष्यों को पूरा करती है। एक वेबसाइट भी है जहाँ हम अधिकांश सामग्री रखते हैं और हमारी भाषा और संस्कृति का प्रदर्शन करते हैं। जहाँ भी विस्थापित लोग हमारे समुदाय के सदस्यों के एक संगठित समूह से मिले हैं, जल्द ही वे मेज़बान समूह में शामिल हो गए हैं और नियमित मासिक व्यक्तिगत बैठकें आयोजित की जाती हैं। इन बैठकों के दौरान हमारी भाषा और संस्कृति का अभ्यास किया जाता है।
प्रत्येक स्थिति के आधार पर, ऊपर बताए गए डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म या ऑनलाइन भाषा पाठ्यक्रमों के लिए डुओलिंगो या कोर्सेरा, और वर्च्युल बैठकों के लिए डिस्कॉर्ड, स्काइप, या ज़ूम जैसे अन्य ऑनलाइन स्थान बनाना मुमकिन हो सकता है। यदि संभव हो, तो पाठ्यपुस्तकों, कहानी की किताबों, शब्दकोष, या व्याकरण की किताबों की एक डिजिटल लाइब्रेरी बनाई जा सकती है। समग्र रूप से, भाषा और संस्कृति के लिए ऑनलाइन स्थानों के निर्माण और रखरखाव में मदद के लिए जितना संभव हो सके, प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। सबसे बढ़कर, मेरा मानना है कि पीड़ितों के लिए जो भी सर्वोत्तम हो, उसे सुगम बनाया और प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
-पायस